243 करोड़ से बना रामसेतु एलिवेटेड ब्रिज धंसा, लोगों ने उठाए सवाल
अजमेर। अजमेर में 243 करोड़ की लागत से बने रामसेतु एलिवेटेड ब्रिज को लेकर विवाद बढ़ गया है। इस रामसेतु ब्रिज की जमीन धंसने की घटना के बाद शनिवार को दो प्रतिवादियों की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में ठेकेदार, निर्माण कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की गई है। इस मामले में 15 से ज्यादा वकील कोर्ट में पैरवी करेंगे और इसकी सुनवाई सोमवार को होना है।
प्रतिवादी ने बताया कि 3 जुलाई को रामसेतु ब्रिज की सड़क का हिस्सा धंस गया, जिससे आम लोगों में दहशत है। यह ब्रिज पहले एलिवेटेड रोड के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में रामसेतु ब्रिज के नाम से जाना जाने लगा। प्रतिवादी ने बताया कि एक जागरूक नागरिक होने के नाते उन्होंने कोर्ट का रुख किया ताकि दोषियों की पहचान हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता की जांच की जाए। तय समय पर कार्य पूरा न होने की जांच और ठेकेदार पर लगी पेनल्टी माफी की भी जांच हो। जिम्मेदार अधिकारियों से नुकसान की वसूली की जाए। जब तक ब्रिज की सुरक्षा की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक इसे बंद रखने की मांग की गई है।
एक वकील ने बताया कि ब्रिज का निर्माण कार्य तीन साल पहले पूरा हुआ था, लेकिन शुरुआत से ही इसकी गुणवत्ता और जरूरत पर सवाल उठते रहे हैं। निर्माण कार्य के दौरान देरी और लागत में बढ़ोतरी को लेकर राजनीतिक विरोध भी सामने आया था।
उन्होंने कहा कि ठेकेदार को समय पर ब्रिज न पूरा करने पर पेनल्टी लगी थी, जिसे बाद में अज्ञात कारणों से माफ कर दिया गया।
सोमवार को होने वाली सुनवाई में शहर के 15 से ज्यादा वकील इस जनहित याचिका पर सह-पक्षकार के रूप में कोर्ट में मौजूद रहेंगे। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह केवल एक ब्रिज की बात नहीं है, बल्कि सार्वजनिक धन, नागरिकों की सुरक्षा और शासन की जवाबदेही का सवाल है। 243 करोड़ के खर्च और मात्र 3 साल में धंसाव जैसी घटनाएं, निर्माण कार्य की पारदर्शिता और गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। अब देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी।