भारतीय नौसेना के पास आज बुधवार को बहुत ही स्पेशल जहाज आने जा रहा है. अजंता की गुफाओं पर उकेरी गई एक तस्वीर के सहारे पारंपरिक तरीके से इस स्पेशल जहाज को तैयार किया गया है. भारतीय नौसेना आज कर्नाटक स्थित कारवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित समारोह में शामिल करेगी और इसे नामकरण करते हुए नया भी देगी. यह जहाज अपनी खासियत की वजह से दुनिया का सबसे अनोखा जहाज है.

मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि स्टिच्ड शिप यानी जोड़कर बनाया गया यह जहाज पांचवीं शताब्दी के दौर में बनने वाले जहाज का ही पुनर्निर्मित रूप है. यह ऐतिहासिक अजंता की गुफा में स्थित एक चित्रकारी से प्रेरित है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे और वह समारोह की अध्यक्षता भी करेंगे. इसके बाद जहाज को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया जाएगा.

गुजरात से ओमान तक की पहली यात्रा
नौसेना के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा कि ‘जोड़कर बनाए जाने वाले प्राचीन जहाज’ का काम पूरा होना पूर्ण रूप से कार्यात्मक समुद्री जहाज का कलात्मक चित्रण है. उन्होंने कहा, “जहाज को शामिल किए जाने के बाद, यह प्रोजेक्ट अपने दूसरे अहम चरण में प्रवेश करेगी. इसमें भारतीय नौसेना पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों पर इस जहाज को चलाने की महत्वाकांक्षी चुनौती का सामना करेगी. लेकिन इस वजह से प्राचीन भारतीय समुद्री यात्रा का अनुभव भी किया जा सकेगा.” उन्होंने कहा कि गुजरात से ओमान तक पोत की पहली अंतर-महासागरीय यात्रा की तैयारियां पहले से ही जारी हैं.

स्पेशल तरीके से प्राचीन परंपरा के अनुसार तैयार किया गया जहाज
स्पेशल जहाज की खासियत है कि इसे लकड़ी से बनाया गया है, इसमें कील या आधुनिक मेटल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसमें चौकोर पाल और लकड़ी की पतवार लगाई गई है. इसे पूरी तरह से पारंपरिक तरीकों से बनाया गया, जो आज के किसी भी नौसेना पोत से बिलकुल अलग है.

हालांकि इस जहाज को डिजाइन करना बड़ी चुनौती थी क्योंकि कोई असली पुराना जहाज मौजूद नहीं था, इसे महज चित्र के आधार पर बनाया गया है. जहाज को बनाए जाने के बाद इसका तकनीकी परीक्षण भी कराया गया. IIT मद्रास की मदद से पानी में परीक्षण किया गया और नौसेना ने खुद डिजाइन की मजबूती जांची.

प्रोजेक्ट के लिए संस्कृति मंत्रालय ने दिया फंड
मंत्रालय ने सितंबर 2023 में अपने बयान में कहा था कि केंद्र सरकार की एक अहम पहल के तहत भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और होदी इनोवेशन, गोवा ने जोड़-जोड़कर बनाए जाने वाले एक प्राचीन जहाज के पुनर्निर्माण को लेकर हाथ मिलाए हैं. मंत्रालय ने कहा था कि यह उन जहाजों की याद दिलाएगा जो कभी भारत के प्राचीन दौर में समुद्री व्यापार मार्गों पर समुद्र में चला करते थे.

इस प्रोजेक्ट के लिए संस्कृति मंत्रालय ने फंड की व्यवस्था की थी और इसकी औपचारिक शुरुआत जुलाई 2023 में तीनों पक्षों के बीच आपसी समझौता होने के बाद हुई थी. जहाज का कील लेइंग समारोह सितंबर 2023 में कराया गया था.

केरल के शिल्पकारों ने किया तैयार
कील लेइंग समारोह जहाज के निचले हिस्से की सबसे लंबी, केंद्रीय लकड़ी या प्लेट लगाने को कहा जाता है, जो समुद्र में जहाज का वजन सहन करके उसे स्थिरता प्रदान करती है.

जहाज को बनाए जाने को लेकर अधिकारी ने बताया कि इस जहाज का निर्माण पारंपरिक तरीकों और कच्चे माल का इस्तेमाल करके केरल के कुशल शिल्पकारों ने किया है, जिनकी अगुवाई बाबू शंकरन ने की थी. उन्होंने बताया कि बाबू शंकरन ने हजारों जोड़ो को हाथों से जोड़कर इस जहाज को तैयार किया है. इस जहाज का जलावतरण फरवरी 2025 में गोवा के मेसर्स होदी शिपयार्ड में किया गया था.